गाँधी के साधारण जीवन की पोल खोलता एक किस्सा बताता हूँ ... उन्हें जब पता चला की लखनऊ के कैसरबाग़ में चश्मे की एक बहुत प्रसिद्ध दूकान बीएन बैजल ऑप्टिकल है ..जिसके यहाँ से घनश्याम दास बिरला से लेकर बड़े बड़े लोग चश्मा बनवाते है तो गाँधी जी ने ख़ास अहमदाबाद से एक आदमी को लखनऊ रवाना किया और बीएन बैजल की दुकान से अपना फेमश गोल फ्रेम वाला चश्मा बनवाये ... जबकि उस समय अहमदाबाद में चश्मे की सैकड़ो दुकाने थी ..
जिन्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं हो रहा हो वो आज भी लखनउ के कैसरबाग में बीएन बैजल ऑप्टिकल की दुकान पर जाकर पता कर सकते है और उस दुकान में आज भी गाँधी के चश्में का एक नमूना रखा हुआ हैं।
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