मंगलवार, 3 अक्तूबर 2017

गांधी के झूठ की कथा भाग- एक




1. गाँधी का झूठ - ब्रह्मचर्य के प्रयोग
अपने ब्रह्मचर्य की परीक्षा के लिए वे महिलाओं के साथ एकांतवास करते थे, स्वयं निर्वस्त्र होकर उनसे अपने शरीर की मालिश कराते थे और लड़कियों को निर्वस्त्र करके अपने साथ सुलाते थे। ऐसा उन्होंने स्वयं अपनी आत्मकथा में लिखा है। इन प्रयोगों द्वारा गाँधी के ब्रह्मचर्य की परीक्षा तो हो जाती होगी, परन्तु उन महिलाओं के ब्रह्मचर्य का क्या होता था? सरदार पटेल ने भी उनसे ऐसे प्रयोगों को बन्द करने का आग्रह किया था, परन्तु वे नहीं माने।

सच्चाई - ‘ब्रह्मचर्य के प्रयोगके बजाय 'सेक्स के प्रयोग' हुआ करते थे ...इनकी पुस्तक का नाम "सत्य के प्रयोग" की बजाय "सेक्स के प्रयोग" होना चाहिए क्योंकि गांधी प्राचीन वाममार्गी तांत्रिकों के पथ, जो स्त्री को नग्न करके उसे भैरवी की उपाधि देते हैं, और उस नग्न स्त्री के साथ ब्रह्मचर्य की साधना (नग्न होने के बाद भी मन में कामुक विचार आयें, वासना उत्पन्न हो) करके ईश्वर प्राप्ति के प्रयोग किया करते हैं, पर चलकर अपने अन्दर चमत्कारिक शक्तियाँ विकसित करना और 125 वर्ष जीवित रहना चाहते थे।

अब आपलोगों के मन में अगर ये बात रही होगी कि ये परीक्षण तो वो अपनी पत्नी पर भी कर सकते थे तो ये बताने की जरुरत नहीं है कि कस्तुरबा जी उनसे उम्र मे 1 साल की बडी़ थीं तो आपलोग अंदाजा लगा सकते हैं कि गाँधी के 30 बरस पूरे होते-होते कस्तुरबा जी का आकर्षण खत्म होने को होगा और गांधी अपनी पत्नी से अक्सर मारपीट करते थे। उन्होंने दशकों तक उनके साथ शारीरिक संबंध भी नहीं रखे।
 
एक बात और कि गाँधी जी को शुरु से ही शर्म आती थी कस्तूरबा जी को अपनी पत्नी कहने में...जब वो करीब 18-20 की उम्र में इंगलैण्ड गए थे वकालत की शिक्षा प्राप्त करने तो वहाँ पर इन्हें अपने कस्तूरबा के पति होने पर इतनी शर्म आयी कि इस सत्य के देवता को भी झूठ कहना पड़ गया..इन्होंने सबसे यही कहा कि ये भी कुँवारे ही हैं..अपने आप को कुँवारा कहने के पीछे इनका एक स्वार्थ तो ये भी रहा होगा कि वहाँ की गोरी- गोरी लड़कियाँ इनके पास आने के लिए अपना रास्ता साफ़ (clear) समझें पर ऐसा कुछ हुआ नहीं...इनको अविवाहित जानकर भी कोई लड़की इनके करीब नहीं आई तब गए ये रास्ते(लाईन) पे और फ़िर अपने सच्चरित्र का ढोल पीटने लगे......
गांधी ने ब्रह्मचर्य के नाम पर काफी प्रयोग किये, अंतत: वासना से मुक्त होने में असफल रहें, और 51 वर्ष की आयु में गांधी, कवि रविन्द्र नाथ टैगोर की भांजी सरला देवी से दूसरा विवाह करने की इच्छा व्यक्त करने लगे, लेकिन यहाँ पर भी परिवार का विरोध झेलना पड़ा और दूसरे विवाह की इच्छा, केवल इच्छा ही बनकर रह गयी।

- विश्वजीत सिंह अभिनव अनंत
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारत स्वाभिमान दल 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें