गांधी के कट्टर समर्थक, भारत के दिग्भ्रमित राजनेता और कुछ हमारे अपने भारतवासी जो भारत की संस्कृति और इतिहास से अनभिज्ञ हैं गांधी को राष्ट्रपिता कहते हैं। गांधी भी अपने आपको राष्ट्रपिता कहलाने में गर्व का अनुभव करते थे।
भारत एक सनातन राष्ट्र हैं और यहाँ की संस्कृति अरबों वर्ष पुरानी हैं । इससे पुराना राष्ट्र विश्व में कोई दूसरा नहीं हैं, तो फिर इसका पिता उन्नीसवीं ईसाई सदी में कैसे पैदा हो सकता हैं ! यह महान आश्चर्य की बात है कि अरबों वर्षो से यह राष्ट्र बिना पिता के कैसे चल रहा था ?
राष्ट्रपिता की अवधारणा पाश्चात्य मैकालेवाद की देन हैं । भारत की संस्कृति तो "माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या" कहकर पृथ्वी को, जन्म भूमि को माता के रूप में देखती हैं और अपने आपकों उसका पुत्र मानती हैं।
यदि हम पाश्चात्य अवधारणा पर ही विचार करें, तो जो अन्न, विद्या और सुशिक्षा आदि का दान देकर पालन - पोषण और रक्षण करता हैं, वहीं पिता कहलाता हैँ । तो क्या गांधी ने शास्त्र की आज्ञानुसार इस राष्ट्र का पोषण और रक्षण किया था जो वह राष्ट्रपिता हुये ?
जबकि वास्तव में गांधी एक ऐसे अहिंसक मसीहा थे जिन्होंने जाने- अनजाने स्वतंत्र अखण्ड भारत के उपासक सच्चे देशभक्तों को नष्ट कराया और बाद में भारत माता को भी टुकडों में विभाजित करा दिया । यदि गांधी चाहते तो पाकिस्तान नहीं बनता ।
गांधी इस राष्ट्र के पिता हैं, तो यह राष्ट्र उनका पुत्र हुआ और जो अपने पुत्र के टुकडे करा दें, वह पुत्र का रक्षक हुआ या भक्षक ? वास्तव में गांधी इस राष्ट्र के पिता तो क्या पुत्र कहलाने के लायक भी नहीं थे, क्योँकि पुत्र वह होता हैं जो अपने पिता को दुर्गति से बचाता हैं। आधुनिक भारत राष्ट्र की दुर्गति करने वाले ही सिर्फ गांधी व उनके सहयोगी थे, इसलिए वे इस राष्ट्र के पिता तो क्या, पुत्र भी कहलाने के अधिकारी नहीं हैं।
* मैं जानता हूँ कि करोड़ों भारतवासी जो गांधी में आस्था रखते है मेरे इस एक लेख से मेरे विरूद्ध हो जायेगे , मुझे उनके आक्रोश का शिकार भी होना पड सकता है , पर क्या करूँ , सच को झुठलाने का सामर्थ्य मुझमें नहीं है । मैं मानता हूँ कि देवता भी गलती कर सकते है तो इसमें गांधी या गोडसे अपवाद कैसे हो सकते है , थे तो आखिर वे मनुष्य ही ।विस्तृत जानकारी के लिए "मुझे गाँधी क्यों पसंद नहीं हैं ?" पुस्तक का अध्ययन करें ।
- विश्वजीत सिंह अभिनव अनंत
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारत स्वाभिमान दल
कृपया गाँधी को राष्ट्रपिता कहकर राष्ट्र और संविधान का अपमान न करें
किसी भी मनुष्य को राष्ट्रपिता जैसी उपाधि देना , नितांत मूर्खता , मानसिक विकलांगता हैं ।
Ha vishvjit singh ji me aapki bat support krta hu
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