सोमवार, 2 अक्तूबर 2017

किसी भी मनुष्य को राष्ट्रपिता जैसी उपाधि देना , नितांत मूर्खता , मानसिक विकलांगता हैं ।


जब जब किसी मूर्ख द्वारा गांधी को, 'राष्ट्रपिता' कहते सुनता हूँ तो क्रोध भी आता है , पीड़ा भी होती हैं । कितनी कुत्सित, घृणित व अपमानजनक बात है ये। जैसे किसी वैश्या को उसके 'ग्राहको' ने 'शहरलुगाई' घोषित कर के शहर की समस्त जनता व सभ्य जनो पर थोप दिया हो। अरे बीजो के समान हमे धारण करने वाली, पोषित पल्लवित करने वाली इस धरती पर जब भगवान भी उतरते है तो इस जन्मभूमि को 'माँ' कहते हैं। ये राम की माँ है , कृष्ण की माँ हैं , ये गांधी की बेटी कैसे हो गयी , कैसे हो सकती हैं? ये विक्रमादित्य की माँ हैं, चाणक्य की माँ हैं, चन्द्रगुप्त की माँ हैं ...दो अरब से अधिक पुरानी ऋषि -परम्परा की माँ हैं, चक्रवती सम्राटों की माँ हैं । इतनी विराट परम्परा की इस जननी का --- बकरी का दूध पीकर चरखा चलाने वाला, डेढ़ पसली का कोई कमजोर आदमी बाप कैसे हो सकता हैं?
किसी भी मनुष्य को राष्ट्रपिता जैसी उपाधि देना , नितांत मूर्खता , मानसिक विकलांगता हैं । भारत को माँ कहने वाली कोई भी संतान गांधी को राष्ट्रपिता कहने का पाप नहीं कर सकती। जो कुलकलंकी अब भी कहते हैं, उनकी गांधी के प्रति अंधी श्रद्धा को देखते हुये, भावना का सम्मान रखते हुये, हम गांधी को उनका 'बाप' अवश्य स्वीकार कर लेंगे, इसमें हमें कोई समस्या नहीं। उनके संबंध को और दृढ़ करने के लिए हम ये भी मान लेंगे कि , गांधी जी इनके पूर्वजो को किसी तकनीक से किसी डिबिया में अपने शुक्राणु भरकर दे गए होंगे, जिनसे इनका जन्म हुआ होगा...
क्या गांधी राष्ट्रपिता हैं ?
कृपया गाँधी को राष्ट्रपिता कहकर राष्ट्र और संविधान का अपमान न करें 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें