प्रश्न - धर्म क्या है?
उत्तर - जीव मात्र के कल्याण भाव से सत्य पर आधारित ईश्वर की आज्ञा का यथावत पालन और पक्षपात रहित न्याय सर्वहित करना है । जो कि प्रत्यक्षादि प्रमाणों से सुपरीक्षित और वेदोक्त होने से सब मनुष्यों के लिये यही एक धर्म मानने योग्य है; वह सदा से चला आया है, उसको सनातन धर्म कहते हैं ।
प्रश्न- धर्म के दस लक्षण कौन- कौन से है?
उत्तर - धृति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह:।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम् ||
अर्थात धैर्य (किसी कार्य को तब तक धैर्य पूर्वक करते रहना जब तक की उसमें सफलता न मिल जाये), क्षमा (यदि किसी सज्जन, श्रेष्ठ व्यक्ति से भूलवश कोई गलती हो जाये तो उसे क्षमा करना, लेकिन जो दुष्ट-अधर्मी या पापी हो उसे किसी भी स्थिति में क्षमा न करें, ऐसे दुरात्मा को क्षमा करने वाला स्वयं दुख उठाता है), दम (बुरी इच्छाओं व दुष्टों का दमन), चोरी न करना, शौच (अन्दर बाहर की स्वच्छता), इन्द्रियों को वश मे रखना, विवेक, विद्या, सत्य और क्रोध न करना (अनावश्यक क्रोध न करें, लेकिन जब अत्याधिक आवश्यकता हो तो क्रोध अवश्य करें, यह धर्म हैं। शक्तिशाली पितामह भीष्म ने पाण्डवों द्वारा द्रोपदी को जुअे पर लगाये जाने पर भी क्रोध नहीं किया जो उनके जीवन का सबसे बड़ा पाप सिद्ध हुआ, दूसरी तरफ जटायु ने अशक्त होते हुए भी माता सीता का अपहरण करने वाले राक्षसराज रावण का प्रतिकार किया जो उनके जीवन का सबसे बड़ा पुण्य था) ; ये दस धर्म के लक्षण हैं।
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विश्वजीत सिंह
"अभिनव अनंत"
सनातन संस्कृति संघ/भारत स्वाभिमान दल
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