सोमवार, 22 मई 2017

गणेश कौन है? क्या सर्वप्रथम उनकी पूजा होनी चाहिए?


प्रश्न - गणेश कौन है? क्या सर्वप्रथम उनकी पूजा होनी चाहिए?
उत्तर - गण + ईश = गणेश | जो गणों का स्वामी है वही गणेश है। यह ईश्वर का एक नाम है। ईश्वर के नाम से ही प्रत्येक शुभ कार्य को करना चाहिए | साधक अपने ध्यान में जिस अविनाशी परब्रहं परमेश्वर की ओर उन्मुख होता है, वही सच्चा गणेश है और सबको उसी एक गणेश की आराधना करनी चाहिए। 

वेद में कहा गया है कि गणानां त्वा गणपतिं... गणपति भ्रानचते विश्वायते रूपायण, वास्तव में गणेश उसको कहते हैं, जो गणैती हो। गणैती करने वाला हो, जो अयुक्त रहने वाला हो, जिसको राग हो, द्वेष हो, जिसकी घ्राण शक्ति अधिक हो, जो सब गंध सुगंध को अपने में धारण करने वाला हो, उसको गणेभ्यो कहते हैं। परमात्मा सबसे बड़ा गणपति माना गया है। आर्ष ग्रंथों में कहा गया है कि ज्ञानार्थवाचको गश्चणश्च निर्वाणवाचकः त्योरीशं परं ब्रह्मा गणेश प्रणमाम्यह्म।
अर्थात् ज्ञान निर्वाणवाचक गण के ईश्वर परंब्रह्मा हैं।  

पवित्र गणेश पुराण में लिखा है कि
ओ३मकार रूपी भगवान ये वेदादौ प्रतिष्ठित: | सदा मुनयो देवा स्मरन्तीन्द्रादयो द्वदि ||
अर्थात गणपति ओंकार रूप ही है, इसी से सब कर्मो के आदि में उसकी पूजा होती है | मंत्र से सिद्ध होता है कि सृष्टि के आदिकाल से उनकी पूजा होती चली रही है, भगवान शंकर-माँ पार्वती के पुत्र गणेश के जन्म से पूर्व भी गणपति पूज्य थे | पार्वती-पुत्र गणेश को उनकी मातृ-पितृ भक्ति के कारण सर्वप्रथम पूज्य माना जाता है | पूजा चित्र की नहीं चरित्र की होती है अर्थात सर्वप्रथम अपने माता-पिता की पूजा (सेवा-सुश्रुसा) करने के बाद ही तुम सही अर्थो में परमात्मा की पूजा के अधिकारी हो सकते हो |


- विश्वजीत सिंह "अभिनव अनंत"
सनातन संस्कृति संघ/भारत स्वाभिमान दल                                                                                                 

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