सोमवार, 22 मई 2017

आज भारत में बहुत सारे अवतार विद्यमान है, फिर भी राष्ट्र-धर्म का पतन क्यों हो रहा है?



प्रश्न - आज भारत में बहुत सारे अवतार विद्यमान है, फिर भी राष्ट्र-धर्म का पतन क्यों हो रहा है?
उत्तर -अवतारवाद की कल्पना करते हुए ऋषियों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन कोई भी यूँ ही मुँह उठाकर स्वयं को परमात्मा का अवतार घोषित कर देगा। अवतारवाद की अवधारणा चाहे जब से चली हो, विगत 100 वर्षों के कालखण्ड में इस अवतारवाद ने कुछ अधिक ही उन्नति कर ली है।  

एक समय था जबकि शंकराचार्य से लेकर सन्त तुलसी तक सब साधु- महात्मा भक्त बनकर ही आनन्द की अनुभूति कर लेते थे, स्वामी विवेकानन्द, दयानन्द, अरविन्द, रमन तक को भगवान बनने की सूझी। आज की बात करें तो लगता है भक्त बनने में कोई अधिक सुख शेष नहीं रहा, जिसे देखो भगवान बनने में लगा हुआ है।  

सम्भवतः पुरानी पीढ़ी के धर्मशील लोगों को स्मरण हो कि सन् 1970 के आस-पास एक पूरा परिवार ही विभिन्न परमात्माओं का अवतार बनकर भक्त मण्डली की सर्वमनोकामनाएँ पूर्ण कर रहे थे। सन् 1954 में एक व्यक्ति ने- ‘स्वामी हंस महाराजनाम रखकर स्वयं को श्री कृष्ण का अवतार घोषित कर दिया। इनकी पत्नी कोजगत् जननीकी उपाधि मिल गई। इस जगत् -जननी ने चार पुत्रों को जन्म दिया और चारों ही अवतार बन गये। बड़ा पुत्र सत्यपाल- ‘बाल भगवानबनकरसतलोक के स्वामीकहलाये। दूसरे महीपालशंकर के अवतारबनकरभोले भण्डारीके नाम से प्रसिद्ध हुए। तीसरे धर्मपाल-प्रजापति ब्रह्म के अवतार बनकर भक्त मण्डली में चक्रवर्ती राजा के नाम से विख्यात हुए। सबसे छोटे प्रेमपाल ने स्वयं कोपूर्ण परमात्माघोषित करके देश- विदेशों में मनमानी लीलाएँ कीं। इनकी लीला स्थलियों में इंग्लैण्ड और अमेरिका का नाम विशेष उल्लेखनीय हैं।

भक्त श्री रामशरण दास जी लिखते हैं- ‘भारत में लगभग ढ़ाई सौ से ऊपर अवतार हैं और मैं सैकड़ों से भेंट कर चुका हूँ….. जो अपने को भगवान श्री राम का अवतार तो कोई अपने को भगवान श्री कृष्ण का, कोई अपने को भगवान श्री शंकर का, तो कोई स्वयं को भगवती श्री दुर्गा का अवतार बता-बताकर घूम रहे हैं और लूट रहे हैं समाज को स्वयं पर ब्रह्म परमात्मा बनकर।….. हाय-हाय कैसे रक्षा होगी मेरे इस देश की? इस महान् परम पवित्र हिन्दू जाति की इन महान् कालनेमि पाखण्डी नकली अवतारों से?’
 
आज भगवान श्रीकृष्ण होते तो सबसे पहले रासलीला, दानलीला, मानलीला, वस्त्रहरण लीला आदि के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण को व्याभिचारी, परस्त्रीगामी और छिनरा बताने वाले इन भक्त राक्षसों- अवतारों के सिरों को अपने चक्रसुदर्शन से काटकर भू भार उतारने का उपक्रम करते ! भगवान के नाम को कलंकित धर्म को अधर्म में परिवर्तित करके रख दिया है इन पापी कथित अवतारों ने |


- विश्वजीत सिंह "अभिनव अनंत"
सनातन संस्कृति संघ/भारत स्वाभिमान दल                                                                                                 

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