सोमवार, 22 मई 2017

हम हिन्दू अपने बच्चों को विधर्मियों के जाल में फँसने से, लव जिहाद से कैसे बचाये?


प्रश्न- हम हिन्दू अपने बच्चों को विधर्मियों के जाल में फँसने से, लव जिहाद से कैसे बचाये?
उत्तर- धार्मिक बनिए, अधर्म का नाश करिए, बेटो को राम, कृष्ण, शिवाजी बनाइये, बेटियों को दुर्गा और चंडी बनाइये |  

साथ ही हमें समझना चाहिए कि शादी करने की उम्र नहीं होती पर बच्चे पैदा करने की एक उम्र होती है | विधर्मी लोग अपने बच्चों का विवाह जल्दी कर देते है | लेकिन हम हिन्दू लोग अपनी बेटी के लिए आत्मनिर्भर या नौकरीपेशा लड़का ही ढूढेंगे जबकि वेल सेट होने में समय लगता है क्योंकि 23 या 25 में तो कैरियर शुरू होता है !! इससे लड़कियो के विवाह में देरी हो जाती है, या कुछ लड़कियाँ गृहस्थी की जिम्मेदारी से कुछ ओर वर्षो तक बचने के लिए जानबूझ कर लड़को को रिजेक्ट कर देती है, लेकिन एक दिन वो लड़की लव जेहाद की शिकार हो जाती है क्योंकि पानी और जवानी अपना रास्ता ढूढ़ ही लेती है !  

हिन्दू लड़के सामाजिक अपयश के भय से अपने प्रेम का प्रदर्शन नहीं करते ना किसी लड़की के घर तक पीछा करने का घटिया काम ! ऐसे हालात में मियो को खुला आसमान मिल जाता है !!
 
लव जेहाद की शिकार अधिकांश मघ्यवर्गीय वर्ग की लडकियाँ ही बनती है, ऊपर से दहेज की समस्या, आज भी कुछ लोग अपने बेटे के विवाह में दहेज मांगते है, जो बहुत ही गलत है, इस दहेज प्रथा को तुरन्त बन्द कर देना चाहिए | सोचिए ! बेटी के मन पर क्या गुजरती होगी अपने बाप की लाचारी को देख के ?   हम हिन्दुओं को अपनी बेटी का विवाह 18 से 20 वर्ष बेटे का विवाह 21 से 25 वर्ष की उम्र तक कर ही देना चाहिए |


- विश्वजीत सिंह "अभिनव अनंत"
सनातन संस्कृति संघ/भारत स्वाभिमान दल                                                                                                 

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