सोमवार, 22 मई 2017

भगवान राम को प्रसन्न करना हो तो क्या करें? क्या हनुमान जी बन्दर थे?



प्रश्न - भगवान राम को प्रसन्न करना हो तो क्या करें?
उत्तर - भगवान राम को प्रसन्न करना हो तो हनुमान जैसा बनना पडेगा | बल, पराक्रम, बुद्धि, ज्ञान और विनय की प्रतिमूर्ती महावीर हनुमान |

प्रश्न - क्या हनुमान जी बन्दर थे?
उत्तर - महाबली हनुमान जी वानर = बन्दर नहीं थे | वे वेदों के बड़े विद्वान, बलवान, ब्रह्मचारी और तपस्वी भगवान थे | इसके कुछ प्रमाण हम यहाँ लिखते है- हनुमान जी की माता जी का नाम 'अंजनी' था, और पिता जी का नाम 'पवन' था, ये दोनों मनुष्य थे कि बन्दर ! तो मनुष्यों के मनुष्य पैदा होते हैं या बन्दर ? यदि बन्दर पैदा नहीं होते, तो विचार करें, कि जब हनुमान जी के माता पिता मनुष्य थे, तो उनके पुत्र श्री हनुमान जी भी तो मनुष्य सिद्ध हुये

वाल्मीकि रामायण में श्री हनुमान जी की योग्यता लिखी है, कि वे ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद के विद्वान थे तथा संस्कृत व्याकरण शास्त्र में बहुत कुशल थे | सोचिये, क्या बन्दर ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद तथा संस्कृत व्याकरण पढ़ सकता है ? यदि नहीं, तो बताइये, श्री हनुमान जी बन्दर कैसे हुए ? 

हनुमान चालीसा के प्रारंभ में चौथे/पांचवें वाक्य में लिखा है, कि " काँधे मूंज जनेऊ साजे, हाथ बज्र और ध्वजा बिराजे " अर्थात श्री हनुमान जी के कंधे पर मूंज की जनेऊ अर्थात यज्ञोपवीत सुशोभित होता है | उनके एक हाथ में वज्र (गदा) और दूसरे हाथ में ध्वज रहता है | अब सोचिये हनुमान चालीसा बहुत लोग पढ़ते हैं, फिर भी इस बात पर ध्यान नहीं देते, कि क्या बन्दर के कंधे पर मूंज की जनेऊ हो सकती है | क्या बन्दर के एक हाथ में गदा और दूसरे हाथ में ध्वज होता है | यदि नहीं, तो श्री हनुमान जी बन्दर कैसे हुए ?
 
आपने रामायण धारावाहिक में बाली, सुग्रीव और उनकी पत्नियाँ तो देखी ही होंगी. उस धारावाहिक में बाली और सुग्रीव तो बन्दर दिखाए गए, परन्तु उनकी पत्नियाँ मनुष्यों वाली स्त्रियाँ दिखाई गई, यदि उनकी पत्नियाँ मनुष्य जाति की थी. तो उनके पति भी मनुष्य होने चाहिये | अर्थात बाली और सुग्रीव भी मनुष्य दिखने चाहिए थे. परन्तु वे दोनों बन्दर दिखाए गए.यदि वे बन्दर थे, तो सोचिये क्या मनुष्यों की स्त्रियों की शादी बंदरों के साथ होती है ? या आजकल भी कोई मनुष्य स्त्रियाँ बंदरों के साथ शादी करने को तैयार हैं ? यदि उनकी पत्नियाँ मनुष्य थीं, तो उनके पति= बाली और सुग्रीव भी मनुष्य ही सिद्ध हुए. और श्री हनुमान जी उनके महामंत्री थे. वे भी उसी जाति के थे. तो श्री हनुमान जी भी मनुष्य सिद्ध हुए.
मित्रों, हमारे धर्म-संस्कृति पर हजारों साल से आक्रमण किये जा रहे है, यहाँ नास्तिकों का विदेशियों का शासन रह चुका है, उन्होंने हमारे सारे शास्त्र जलाये और उनमें मिलावट की ताकि हम अपना स्वाभिमान भूल जाये।


- विश्वजीत सिंह "अभिनव अनंत"
सनातन संस्कृति संघ/भारत स्वाभिमान दल                                                                                                 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें