सोमवार, 22 मई 2017

आत्मबल, संपूर्ण समाज में सदैव विद्यमान रहना चाहिए



पीठ शत्रु को नहीं दिखायी हिंदुओं की संतानों ने |
केसरिया ध्वज रंग दिया था रक्तापूर्ण वीरों ने ||
गिरा हुआ ध्वज रामदास-शिवा छत्रपति ने उठा लिया |
गोकुल सिंह ने इसके कारण सर भी अपना कटा लिया ||
छत्रसाल और बुन्देलों ने इसी ध्वज को अपनाया |
राणा ने भी इसके कारण सब कुछ अपना त्याग दिया ||
इससे कारण कृपाण लेकर सिक्ख वीर उठ खड़े हुए |
बंदा गुरु गोविंद सिंह जी हिंदू -शत्रु पर टूट पड़े ||
पीत छटा थी त्यागमयी, कभी हृदय से नहीं गई |
श्रेष्ठ सनातन धर्म अपना, स्मृति उसकी उत्साहमयी ||

कितने भी भयंकर आपत्तियों शक्तिशाली दुष्टों का सामना करना पड़े, उसमें साहस, धैर्य आत्म विश्वास के साथ उन्हें पराजित करने का आत्मबल, संपूर्ण समाज में सदैव विद्यमान रहना चाहिए | सतयुग में माँ भगवती दुर्गा के रुप में दैवी शक्ति ने महिषासुर का मर्दन किया| त्रेता में भगवान श्रीराम ने वनवासियों का सहयोग लेकर, उन्हें संगठित कर दुष्ट रावण की आसुरी शक्ति का विनाश किया द्वापर में इसी प्रकार भगवान श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में दैवी शक्तियों ने आसुरी शक्तियों का विध्वंस किया |
 
संघे शक्ति कलौयुगे
कलयुग में संगठन की शक्ति ही आसुरी शक्तियों का विनाश कर सकती है |


- विश्वजीत सिंह "अभिनव अनंत"                                                                                          सनातन संस्कृति संघ/भारत स्वाभिमान दल

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