सोमवार, 22 मई 2017

धर्मो रक्षति रक्षितः



धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः |
तस्माद्धर्मो हन्तव्यः मानो धर्मो हतोवधीत् ||

नष्ट हुआ धर्म ही मनुष्य का नाश करता है और रक्षा किया हुआ धर्म अपने रक्षक की रक्षा करता है इसलिए धर्म को नष्ट नहीं करना चाहिए, ऐसा हो कि नष्ट किया हुआ धर्म हमें नष्ट कर दे

अपने देश में दानवी- आसुरी शक्तियाँ सक्रिय है | इन शक्तियों का विनाश करने के लिए प्रत्येक को अपने अंदर की बुद्धि, भावना एवम् शक्ति को केंद्रित करना होगा, ताकि अपने घर- परिवार, समाज और देश को सुखी, वैभवशाली, विजयी जीवन प्राप्त हो सके

धर्म साधना से ही समाज और देश का एकीकृत स्वरुप प्रकार होगा | धर्म साधना से ही अनाचार, भ्रष्टाचार पापाचार मिट सकता है | भारत का प्रत्येक पहलू धर्म से परिपूर्ण है

सनातन हिंदू- जीवन प्रणाली ही भारत के जीवन- वैशिष्टय को बनाए रखने वाली है | किंतु दुर्भाग्य से मैकालेवादियों, साम्यवादियों, अरबवादियों, कालनेमिवादियों ने शिक्षा- पद्धति इतिहास को बदल कर भारतीय जन समुदाय के मस्तिष्क को अपना गुलाम बना लिया परिणाम स्वरुप संसार में अपने स्वत्व के अस्तित्व का निषेध करने वाला पापी यदि कोई होगा, तो वह अपने हिंदू समाज में ही मिलेगा |

 - विश्वजीत सिंह "अभिनव अनंत"                                                                                         सनातन संस्कृति संघ/भारत स्वाभिमान दल

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