सोमवार, 22 मई 2017

अहिंसा किसे कहते है ?


प्रश्न- अहिंसा किसे कहते है ?
उत्तर- साधारण अर्थ में मन , वचन और कर्म के द्वारा किसी भी प्राणी को कष्ट देना , सताना , मारना अहिंसा कहलाता है अहिंसा परमधर्म है किन्तु अहिंसा की यह परिभाषा बहुत ही अपूर्ण और असमाधान कारक है केवल शब्दार्थ से अहिंसा का भाव नहीं ढूँढा जा सकता , इसके लिए योगेश्वर श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दी गई व्यवहारिक शिक्षा का आश्रय लेना पडेगा
 
जिस पुरूष के अन्तःकरण में ' मैं कर्ता हू ' ऐसा भाव नहीं है तथा जिसकी बुद्धि सांसारिक पदार्थ और कर्मो में लिप्त नहीं होती है , वह पुरूष सब लोगों को मारकर भी वास्तव में तो मारता है और ही पाप से बंधता है  

जिस हिंसा से अहिंसा का जन्म होता है , जिस लडाई से शान्ति की स्थापना होती है , जिस पाप से पुण्य का उद्भव होता है , उसमें कुछ भी अनुचित या अधर्म नहीं है वास्तव में मानवता की रक्षा के लिए दुष्टों का प्राण हरण करना तो शुद्ध अहिंसा है
 
अत्याचारी के अत्याचार को सहन करने का नाम अहिंसा नहीं यह तो मुर्दापन है मृत शरीर पर कोई कितना ही प्रहार करता रहे , वह कोई प्रतिकार नहीं करता इसी प्रकार जो मनुष्य चुपचाप अत्याचार सह लेता है , वह मृत नहीं तो और क्या है ?
 
भारतीय वैदिक संस्कृति में अत्याचार सहने का नहीं बल्कि अत्याचारी को दण्ड देने का विधान अहिंसा है |
 
जो निजी स्वार्थ के वशीभूत होकर दूसरों को हानि पहुँचाता है , या किसी के प्राण लेता है , तो वह हिंसा है , और जो परमार्थ के लिए या सार्वजनिक हित के लिए अत्याचारी को हानि पहुँचाता , या उसको मार डालता है , तो वह हिंसा होकर सच्ची अहिंसा है क्योंकि उससे सार्वजनिक हित होता है
 
अहिंसा की प्रतिष्ठा इसलिए नहीं है कि उससे किसी जीव का कष्ट होता है कष्ट होना होना कोई विशेष महत्व की बात नहीं है , क्योंकि शरीरों का तो नित्य ही नाश होता है और आत्मा अमर है , इसलिए मारने मारने में हिंसा - अहिंसा नहीं है  

अहिंसा का अर्थ है - ' द्वेष रहित होना ' निजी राग - द्वेष से प्रेरित होकर संसार के हित - अहित का विचार किये बिना जो कार्य किये जाते है , वे हिंसा पूर्ण है यदि लोक कल्याण के लिए , मानवता की रक्षा के लिए किसी को मारना पडे तो उसमें दोष नहीं है , वास्तव में वह शुद्ध अहिंसा है


- विश्वजीत सिंह "अभिनव अनंत"
सनातन संस्कृति संघ/भारत स्वाभिमान दल                                                                                                 

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