सोमवार, 22 मई 2017

वामपंथी प्रोफेसर और मौलाना साहब के साथ हुई घोर असहष्णु वार्तालाप; आखिर सच्चा मुसलमान कौन, कुरान को फॉलो करने वाला या कुरान ना फॉलो करने वाला -1



वामपंथी प्रोफेसर और मौलाना साहब के साथ हुई घोर असहष्णु वार्तालाप; 
आखिर सच्चा मुसलमान कौन, कुरान को फॉलो करने वाला या कुरान ना फॉलो करने वाला -1

आपने एक कहावत सुनी होगी की 'शत्रु का शत्रु, मित्र होता है' भारत में हिन्दुओँ को अपना दुश्मन समझने वाले केवल मुस्लिम या ईसाई ही नहीं है वरन वामपंथ और विकृत सेक्युलरिज्म भी बहुत बड़ा घाघ है।

वामपंथी हिन्दुओं को बदनाम करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते ये सीधे हिन्दू धर्म पर आक्रमण करते हैं।

अब मुद्दे पर आता हूँ " अभी दो दिन पहले मैं ग्वालियर से गोआ रहा था मेरा B1 में 22 नंबर उपर बर्थ था मेरे सामने वाले सीट पर एक घोर वामपंथी हिस्ट्री के प्रोफेसर साहब थे जो दिल्ली से रहे थे,

अब झाँसी स्टेशन से एक मौलाना उनकी बेगम और उनका लड़का भी हमारे कोच में बैठ गया।
प्रोफेसर साहब अख़बार पढ़ रहे थे और सरकार को गालियाँ देते जा रहे थे, फिर प्रोफेसर और मौलाना में बातचीत होने लगी, अब दोनों मिलकर हिन्दू नेताओं और सरकार को गालियाँ देने लगे, अब प्रोफेसर ने टॉपिक को डाइवर्ट करते हुए हिन्दू नेताओं से लेकर हिन्दू संतों और हिन्दू संघटनो का मज़ाक उड़ाने लगे कहीं प्रज्ञा ठाकुर तो कहीं स्वामी लक्ष्मणानन्द जी, कहीं हिन्दू गुरुओं का मज़ाक उड़ाते तो कहीं गायों का।

अब इन्ही बातों के बीच में मौलाना साहब इस्लाम और मुसलमानों को अच्छा घोषित करते जाते और हिन्दुओं को बदनाम करते जाते, अब देखते ही देखते प्रोफेसर ने टॉपिक को डाइवर्ट करते हुए हिन्दू और हिन्दू भगवानों, ग्रंथों को मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया।

साइड लोअर बर्थ पर बैठा हुआ लड़का हिन्दुओं का पक्ष रख रहा था, लेकिन ज्ञान और अध्यन की कमी के कारण वह मौलाना और प्रोफेसर की बातों का ज़वाब नही दे पा रहा था।

मैं ऊपर वाली सीट पर लेटा हुआ इनकी बातें सुन रहा था ये माझरा 2 घण्टे चला।

अब मैं भी नीचे उतर चूका था फिर मैंने मौलाना साहब से परिचय लिया तो पता चला की वो लखनऊ से हैं और कोई प्रोग्राम अटेंड करने के लिए मुम्बई जा रहे हैं, फिर मैंने मौलाना साहब से पूछा "क्या कुरआन में लिखी हर बात सही है और मुझे ये बताइये ये फ़तवे किस आधार पर लगाये जाते हैं, क्या फतवों का क़ुरान से कोई संबंध होता है और एक प्रश्न ये सच्चा मुसलमान कौन है।

अब मौलाना साहब को लगा की मैं इस्लाम में इंट्रेस्टेड हूँ सो वो मोहम्मद और इस्लाम की गाथा सुनाने लगे और मुझसे कहने लगे की मियां ये समझ लो की क़ुरान ही दुनियाँ में एक सच्ची क़िताब है ज़ो सातवें आसमान पर बैठकर स्वयं अल्लाह ने उतारी है मुसलमानों के लिए, और रसूल ने क़ुरान के माध्यम से अल्लाह के फ़रमान हम तक पहुँचाये, क़ुरान में लिखा हुआ एक एक वाक्य सत्य है उसमें फ़ेरबदल की कोई गुंजाइस ही नहीं है।

फिर मौलाना साहब बोले की मियाँ हरएक फ़तवा क़ुरान के तालुकात रखता है, फ़तवा लगाने से पहले ये देखा जाता है की रसूल ने क्या कहा है।

और मियाँ आपने कहा की सच्चा मुसलमान कौन है तो मियाँ इतना जान लो की जो मुसलमान अल्लाह और उसके नाज़िल हुए क़ुरान पर सच्चा ईमान रखता है, क़ुरान की हर एक बात मानता है और हर रोज़ पाँच जुम्मे की नमाज़ अदा करता है वही सच्चा मुसलमान है।

अब मैंने कहा की मौलाना साहब क़ुरान के सूरा अत-तौबा (At-Tawbah):5 में लिखा हुआ है की "जब हराम (प्रतिष्ठित) महीने बीत जाएँ तो मुशरिकों को जहाँ कहीं पाओ क़त्ल करो, उन्हें पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे तौबा कर लें और नमाज़ क़ायम करें और ज़कात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो, निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।

क़ुरान 8:12 में लिखा हुआ है की "मैं इनकार करनेवालों के दिलों में रोब डाले देता हूँ। तो तुम उनकी गरदनें मारो और उनके पोर-पोर पर चोट लगाओ"

क़ुरान 3:151 में लिखा हुआ है की  "तुम घबराओ नहीं हम जल्द तुम्हारा रोब / डर काफ़िरों के दिलों में जमा देंगे"

क़ुरान के सूरा2 की आयत 244 में लिखा हुआ है
"अल्लाह के मार्ग में युद्ध करो और जान लो कि अल्लाह सब कुछ सुननेवाला, जाननेवाले है"

अब मौलाना साहब शाँत हो गए थे फिर मैंने कहा मौलाना साहब अगर क़ुरान सच्चा है तो असल में आतंकवादी, ISIS, बोकोहरम, अलक़ायदा वाले ही सच्चे मुसलमान हुए। क्योंकि क़ुरान की आयतें तो ये isis वाले ही पूरी कर रहे हैं, क़ुरान के अनुसार अल्लाह की राह में क़त्ल करने वाला, मुशरिकों( बहुदेववादी अर्थात हिन्दू ) को मारने वाला ही सच्चा मुसलमान है।

जो हिन्दुओँ या धर्म वालों को मार नहीं रहे या उनसे मित्रता कर रहे हैं वो क़ुरान के अनुसार सच्चे मुसलमान नहीं हो सकते।"

फिर मैंने कहा की मौलाना साहब आपके ही क़ुरान का सूरा मुहम्मद (Muhammad) की आयत 4 में कहा गया है की  "अतः जब इनकार करनेवालो से तुम्हारी मुठभेड़ हो तो (उनकी) गरदनें मारना है, यहाँ तक कि जब उन्हें अच्छी तरह कुचल दो तो बन्धनों में जकड़ो, फिर बाद में या तो एहसान करो या फ़िदया (अर्थ-दंड) का मामला करो, यहाँ तक कि युद्ध अपने बोझ उतारकर रख दे। यह भली-भाँति समझ लो, यदि अल्लाह चाहे तो स्वयं उनसे निपट ले। किन्तु (उसने या आदेश इसलिए दिया) ताकि तुम्हारी एक-दूसरे की परीक्षा ले। और जो लोग अल्लाह के मार्ग में मारे जाते है उनके कर्म वह कदापि अकारथ करेगा"

फिर आपके क़ुरान के सूरा मुहम्मद (Muhammad):5 और 6 में कहा है की " अल्लाह और इस्लाम  के लिए लड़ने, मरने वालों का अल्लाह मार्गदर्शन करेगा और उन्हें जन्नत में दाख़िल करेगा, जिससे वह उन्हें परिचित करा चुका है।

अब मैंने मौलाना साहब आपके क़ुरान की ये आयतें पढ़कर तो ऐसा लगता है जैसे क़ुरान ही मुसलमानों को आतंकवाद फ़ैलाने के लिए मज़बूर कर रहा है और आतंकी ही सच्चे मुसलमान हैं।
अब मौलाना और प्रोफेसर को छोड़कर बाक़ी सभी ख़ुश हो रहे थे अब मौलाना साहब कुछ ज़वाब देते उससे पहले प्रोफेसर ने मुझ पर अनपढ़ कुपमण्डूक और सांप्रदायिक तमगा लगा दिया,
जैसा की भारत में हमेशा से होता आया है की वामपंथ और सेक्युलरिज़्म इस्लाम और ईसाईयत को बचाने के लिए पहले खड़ी हो जाती है।

अब प्रोफेसर साहब गुस्सें में बोलने लगे " कौन से कॉलेज में पढे हो, साम्प्रदायिक हो, क्या जानते हो इस्लाम के बारे में और क्या जानतें हो, क्या कभी क़ुरान पढ़ा है"

अब मैंने प्रोफेसर साहब से कहा " सर रास्ता बहुत बड़ा है आज मैं मौलाना साहब से इस्लाम सीखकर ही जाऊँगा लेकिन अब आप ये बता दीजिये की भारत की आज़ादी में या आज़ादी के बाद भारत का इतिहास में फ़ेरबदल करने और झूंठा इतिहास लिखने के अलावा भारत में वामपंथ का क्या योगदान रहा है"

अब प्रोफेसर साहब शाँत थे तब मेरे साइड में बैठे हुए एक अंकल ने भी पूछ लिया की सर ज़वाब तो दीजिये लड़का कुछ पूछ रहा है।

अब मैंने प्रोफेसर साहब से फिर पूछा सर आप बताइये आजतक वामपंथ ने भारत को क्या दिया है मात्र ग़द्दारी के अलावा, अब प्रोफेसर साहब ग़ुस्से में भी थे और ख़ामोश भी।

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