आत्म परिष्कार, उज्जवल भविष्य, समृद्ध व सुरक्षित जीवन हेतु सामूहिक धर्म साधना
<> साधना त्रिकाल (सुबह, दोपहर, सायं) की जाये |
<> सुबह सोकर उठते ही बिस्तर पर बैठे- बैठे आठ बार गायत्री मन्त्र का जप करें, आप चाहे किसी भी स्थिति में हो, ईश्वर सर्वसाक्षी है, उससे कुछ छिपता नहीं है |
<> दोपहर की साधना में ठीक बारह बजे बारह बार गायत्री मन्त्र का जप किया जाये |
<> घर, स्कूल, दुकान, कार्यालय, कम्पनी व मन्दिर आदि सार्वजनिक स्थानों पर भी दोपहर की साधना में ठीक बारह बजे बारह बार गायत्री मन्त्र का जप अवश्य किया जायें |
<> जिस प्रकार महामदपंथि समुदाय अरबी देवता इल्लाह की सामूहिक उपासना करते है, उसी प्रकार संसार में सर्वश्रेष्ठ सनातन हिन्दू धर्मावलम्बियों को भी भारतवर्ष के सभी महानगरों, नगरों, ग्रामों, मोहल्लों के मंदिरों में सर्वशक्तिमान परमात्मा की सामूहिक धर्म साधना करनी चाहिए, जिस में संतों की प्रधान भूमिका रहें और जिन ग्राम/ मोहल्ला/कॉलोनी में मंदिर नहीं है, वहाँ ग्राम देवता का स्थान हो, पीपल- वट आदि किसी पवित्र वृक्ष की छाया हो, अथवा किसी सार्वजनिक स्थान पर यह साधना की जाए |
<> सामूहिक धर्म साधना प्रत्येक रविवार दोपहर 12:00 बजे से 12:30 तक अवश्य की जायें|
<> प्रत्येक सनातन धर्मी हिंदू का सामूहिक धर्म साधना में सम्मिलित होना अनिवार्य है |
<> 5 वर्ष तक के बच्चे और हिंदू महिलाएँ जो किसी कारणवश सामूहिक साधना कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके, वे घर पर ही रविवार को ठीक 12 बजे निर्धारित विधि द्वारा साधना अवश्य करें |
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