सोमवार, 22 मई 2017

विनाश काले विपरीत पूजा क्या है?



प्रश्न - विनाश काले विपरीत पूजा क्या है?
उत्तर - हिन्दुओं द्वारा परमात्मा को भूलकर पीर, फकीर, साई की पूजा की जा रही है, पिशाच संस्कृति के राक्षसों को हिंदू मंदिरों घरों में स्थापित किया जा रहा है, पूजा जा रहा है, फिर भी पूछते हो कि विनाश काले विपरीत पूजा क्या है?  

कब्र या मजार मरे हुए आदमी की होती है | हिंदू समाज में अगर कोई व्यक्ति मरने वाले के पीछे चार कदम भी रखता है तो उसे घर कर स्नान करना पडता है | फिर हम मजार पर चढ़ावा प्रसाद बच्चों को क्यों खिलाते है क्या वह अपवित्र नहीं है !  

सभी कब्र उन मुसलमानों की हैं जो हमारे पूर्वजो से लड़ते हुए मारे गए थे, इस हालत में उनकी कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या हमारे उन वीर पूर्वजो का अपमान नहीं हैं जिन्होंने अपने धर्म की रक्षा करते हुए खुशी- खुशी अपने प्राणों को बलि वेदी पर समर्पित कर दिया था ?

बहराइच उत्तर प्रदेश में गाजी मियाँ की मजार है जिसको पूजने के लिए देश के कोने कोने से हिंदू आते है | इतिहास का थोडा सा भी जानकार व्यक्ति जानता है कि महमूद गजनवी के उत्तर भारत को बुरी तरह से लूटने बर्बाद करने के बाद सन् 1030 में उसके भांजे सालार गाजी ने भारत को दारूल इस्लाम बनाने के उद्देश्य से भारत पर आक्रमण किया | सिन्ध, पंजाब, हरियाणा को रौंदता हुआ उत्तर प्रदेश के बहराइच तक जा पहुँचा

रास्ते में लाखों हिंदुओं का कत्लेआम किया, लाखो हिंदुओं को इस्लाम में धर्मांतरित किया और लाखों हिंदू ओरतों के बलात्कार हुए, हजारों मंदिरों- गुरुकुलों का विध्वंस कर दिया गया तथा इस्लाम के जिहाद की आंधी तेज चलने लगी |  

ऐसे संकट के समय में बहराइच के राजा सुहेल देव  ने गाजी मियाँ की सेना का सामना किया जिसमें सालार गाजी मारा गया | सलार गाजी के सेनापति ने वही उसकी कब्र बनवा दी | आज हिंदू उसे अपने कुल देवता मानकर पूजते है | अगर गाजी जिंदा रहता तो वह हिंदुओं का ओर कत्लेआम करता

कुछ ऐसा ही चरित्र अजमेर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का है, ख्वाजा मोहम्मद गौरी के साथ भारत आया था, ख्वाजा ने छल कपट से हिंदुओं को मुसलमान बनाया तथा हिंदुओं के मंदिरों को नष्ट कर आया था | ऐसे ही कार्य दिल्ली में पीर निजामुद्दीन ओलिया ने किया था | जिसने जितना ज्यादा हिंदुओं का कत्लेआम किया, हिंदुओं को इस्लाम में धर्मांतरित किया वो उतना बड़ा पीर |

क्या हिन्दुओं के ब्रह्मा, विष्णु, महेश, राम, कृष्ण, दुर्गा अथवा तैंतीस कोटि देवी- देवता शक्तिहीन हो चुकें हैं, क्या उनमें एक भी ऐसा देवता नहीं जिसे हमारे मूर्ख हिन्दू अपना देवता मान सकें |  

हिन्दुओं के लिए शव(कब्र) पूजा का अर्थ है प्रेत योनि की दुर्गति | किसी भी शव की पूजा चाहे वह मजार का हो या शिर्डी साई का, उसे पूजने वाले की कभी सदगति नहीं हो सकती |  

कब्रों, पीरों की मजारों से अशुद्ध परमाणु निकलते है, आत्मज्ञानी संत बताते है की यदि कोई मजार सामने पड जाये तो मजार की दिशा में थूंक देने से बुरी शक्तियों का निवारण हो जाता है |  
हिन्दू समाज को इन मजारों, कब्रों, पीरों की पूजा बन्द करनी चाहिए | उस परमपिता परमेश्वर की पूजा करनी चाहिए जो सभी के दिलों में बसता है |


- विश्वजीत सिंह "अभिनव अनंत"
सनातन संस्कृति संघ/भारत स्वाभिमान दल                                                                                                 

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