धार्मिक मसलों का हल केवल धर्मी लोग ही कर सकते हैं अधर्मी (
तथाकथित सेक्युलर धर्मनिर्पेक्ष व जिहादी मुल्ले-मौलवी ) लोग नहीं. ये
अधर्मी लोग जिस किसी भी धार्मिक मामले में टांग अड़ायेंगे वहां तो बनती हुई
बात भी बिगड़ जायेगी. इन अधर्मियों की तो राजनीति चलती ही इस पर है कि -
धार्मिक विवादों कभी हल न होने दिया जाय. धार्मिक विवादों को जितना अधिक
लटकाया जाता है उससे और अधिक विवाद बढ़ते हैं.
अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर का पुनर्निर्माण भी एक ऐसा ही विवाद है जो अधर्मियों के अनावश्यक हस्तक्षेप के कारण बढ़ता जा रहा है. इस विवाद के कारण अब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है और खरबों रूपए की संपत्ति नष्ट हो चुकी है. हिन्दू हों या मुस्लिम सभी इस मसले का सर्वमान्य स्थाई हल चाहते हैं क्योंकि झगडे में नुकसान दोनों पक्षों का हो रहा है.
अगर केवल धर्मी लोग चर्चा करें तो इसका अवश्य निकलेगा. इसका सबसे उत्तम और सर्वमान्य हल जो हो सकता है अब उसकी चर्चा करते हैं. मेरे ख़याल से इस बात का विरोध भी मुस्लिम के बजाय अधर्मी ही करेंगे. जैसा कि - सर्व विदित है कि अरब साम्राज्यवादी इस्लामिक हमलावरों ने हिन्दुस्थान पर हमला कर हजारों मंदिर तोड़े और करोड़ों हिन्दुओं को अपना धर्म छोड़ने पर मजबूर किया.
अब उन सब बातों को स्मरण रखते हुए नए सिरे से भारत का निर्माण किया जाय. अयोध्या, मथुरा, काशी सहित हिन्दुओं के ऐसे तीस हजार सबसे प्रमुख केंद्र हैं जहां विवादास्पद मस्जिदें बनी हुई हैं और इनके अलावा भी ऐसे लाखों मंदिरों की लिस्ट है जिनको तोड़कर मस्जिद, दरगाह या कुछ और बनाने का दावा किया जाता है. इस मसले पर अपने अपने धर्म के सर्वमान्य लोग मिलकर चर्चा करें.
अगर दोनों धर्मों के धार्मिक लोग मिलकर यह तय कर लें कि -
अखण्ड भारत के विभाजन की शर्तों के अनुसार या तो भारत के सभी मुसलमान पाकिस्तान चले जाये और पाकिस्तान के सभी हिन्दू भारत बुला लिये जाये
या फिर हिन्दुओं के इन तीस हजार प्रमुख मंदिरों से मुस्लिम अपना दावा वापस लेकर उन्हें हिन्दू समाज को सौप दें क्योंकि उनके पूर्वज भी भारतीय हिन्दू ही है और उसके बाद कोई भी हिन्दू किसी भी अन्य विवादास्पद मस्जिद पर कभी भी कोई दावा न करने का लिखित बचन दें तो यह हिन्दू मुस्लिम झगडा हमेशा के लिए समाप्त हो सकता है और उसके बाद सभी हिंदुस्थानी तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं.
लेकिन अगर इस मसले को हल किये बिना, इसे यूँ ही लटकाए रखा गया तो यह मसला नासूर बनकर एक दिन देश को बर्बाद कर देगा. जो अधर्मी धर्मनिरपेक्ष व मुल्ले-मौलवी लोग हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का नाटक करते हैं, वास्तव में वही लोग इस भाईचारे के सबसे बड़े दुश्मन हैं.
- विश्वजीत सिंह "अभिनव अनंत" सनातन संस्कृति संघ/भारत स्वाभिमान दल
अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर का पुनर्निर्माण भी एक ऐसा ही विवाद है जो अधर्मियों के अनावश्यक हस्तक्षेप के कारण बढ़ता जा रहा है. इस विवाद के कारण अब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है और खरबों रूपए की संपत्ति नष्ट हो चुकी है. हिन्दू हों या मुस्लिम सभी इस मसले का सर्वमान्य स्थाई हल चाहते हैं क्योंकि झगडे में नुकसान दोनों पक्षों का हो रहा है.
अगर केवल धर्मी लोग चर्चा करें तो इसका अवश्य निकलेगा. इसका सबसे उत्तम और सर्वमान्य हल जो हो सकता है अब उसकी चर्चा करते हैं. मेरे ख़याल से इस बात का विरोध भी मुस्लिम के बजाय अधर्मी ही करेंगे. जैसा कि - सर्व विदित है कि अरब साम्राज्यवादी इस्लामिक हमलावरों ने हिन्दुस्थान पर हमला कर हजारों मंदिर तोड़े और करोड़ों हिन्दुओं को अपना धर्म छोड़ने पर मजबूर किया.
अब उन सब बातों को स्मरण रखते हुए नए सिरे से भारत का निर्माण किया जाय. अयोध्या, मथुरा, काशी सहित हिन्दुओं के ऐसे तीस हजार सबसे प्रमुख केंद्र हैं जहां विवादास्पद मस्जिदें बनी हुई हैं और इनके अलावा भी ऐसे लाखों मंदिरों की लिस्ट है जिनको तोड़कर मस्जिद, दरगाह या कुछ और बनाने का दावा किया जाता है. इस मसले पर अपने अपने धर्म के सर्वमान्य लोग मिलकर चर्चा करें.
अगर दोनों धर्मों के धार्मिक लोग मिलकर यह तय कर लें कि -
अखण्ड भारत के विभाजन की शर्तों के अनुसार या तो भारत के सभी मुसलमान पाकिस्तान चले जाये और पाकिस्तान के सभी हिन्दू भारत बुला लिये जाये
या फिर हिन्दुओं के इन तीस हजार प्रमुख मंदिरों से मुस्लिम अपना दावा वापस लेकर उन्हें हिन्दू समाज को सौप दें क्योंकि उनके पूर्वज भी भारतीय हिन्दू ही है और उसके बाद कोई भी हिन्दू किसी भी अन्य विवादास्पद मस्जिद पर कभी भी कोई दावा न करने का लिखित बचन दें तो यह हिन्दू मुस्लिम झगडा हमेशा के लिए समाप्त हो सकता है और उसके बाद सभी हिंदुस्थानी तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं.
लेकिन अगर इस मसले को हल किये बिना, इसे यूँ ही लटकाए रखा गया तो यह मसला नासूर बनकर एक दिन देश को बर्बाद कर देगा. जो अधर्मी धर्मनिरपेक्ष व मुल्ले-मौलवी लोग हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का नाटक करते हैं, वास्तव में वही लोग इस भाईचारे के सबसे बड़े दुश्मन हैं.
- विश्वजीत सिंह "अभिनव अनंत" सनातन संस्कृति संघ/भारत स्वाभिमान दल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें