जो समाज अपनी संस्कृति से कट जाता है उसका
कभी भला नहीं हो सकता |
हमें पुन: अपनी मूल संस्कृति व सच्चे अध्यात्म की ओर लौटना होगा, तभी सत्य सनातन वैदिक हिन्दू धर्म व संस्कृति की रक्षा होगी तथा सच्चे ईश्वर की उपासना से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि व मुक्ति की प्राप्ति होगी |
सच्चे ईश्वर की उपासना के लिए आवश्यक है कि हम जाति- वर्ण के मिथ्या बंधन तोड़कर धर्म के झंडे तले एक हो जायें |
संसार में हम सब से श्रेष्ठ है लेकिन जाति- वर्ण- सम्प्रदाय ने हमारा सत्यानाश किया
हुआ है |
आइये हम उन सभी दरारों को भर दे जो अपनों के स्वार्थ व अज्ञानता और परायों के षड़यन्त्रों ने पैदा की है | हम भेदभाव और छूआछूत की दीवारें ढहा दे तथा संकल्प लें कि हम सब भारत माता की संताने है, हम सब एक है | हम सर्वप्रथम सनातनधर्मी हिंदू है, यही हमारा अस्मिता बोध है |
हिन्दव: सोदरा: सर्वे, न हिंदू पतितो भवेत् |
मम दीक्षा धर्म रक्षा, मम मंत्र समानता ||
सब हिंदू भारत माता की संतान होने से सहोदर है | इसलिए कोई हिंदू पतित नहीं हो सकता है | हमने "समानता" का मंत्र लेकर "धर्मरक्षा" की दीक्षा ली है |||
|| जो बोले सो अभय सनातन धर्म की जय ||
- विश्वजीत सिंह "अभिनव अनंत"
सनातन संस्कृति संघ/भारत स्वाभिमान दल
सनातन धर्म की जय हो
जवाब देंहटाएंजय श्री राम
जवाब देंहटाएंसनातन धर्म की जय हो
जवाब देंहटाएंसनातन धर्म की जय
जवाब देंहटाएंJai shree ram🚩
जवाब देंहटाएंYaha sloka kis book me h Shri maan ji
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